Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 2 Aug 2022 6:02 pm IST


नागपंचमी पर कालसर्प दोष निवारण से मिलती है शांति


हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की तरह नाग देवता की भी पूजा-अर्चना का विधान है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक नागाधिराज वासुकी इस पृथ्वी के मूल आधार हैं। इस वर्ष सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि मंगलवार प्रात: 5:43 बजे से बुधवार शाम 5:43 बजे तक रहेगी। नाग देवता की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त समय प्रात: 5:43 बजे से सुबह 8:25 बजे तक रहेगा।

मोहल्ला पक्काकोट स्थित प्राचीन श्रीनागनाथ मंदिर में सदियों पुराना नाग देवता का मठ है। वहां हर साल सावन की नागपंचमी को बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु नागदेवता की पूजा-अर्चना कर कच्चा दूध और प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू सिद्ध पीठ है। इस पर दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर नाग देवता की आकृति उभरी है।

मंदिर के पुजारी योगी अमरनाथ प्रशांत शास्त्री ने बताया कि जन्म कुंडली में कालसर्प दोष एक भयंकर दोष होता है। कुंडली दिखाकर इसके निवारण के लिए मंदिर में हर साल नागपंचमी के दिन लोग पूजा-अर्चना और हवन कराते हैं। कालसर्प दोष प्रत्येक वर्ष कुछ काल के लिए हमारे सौरमंडल में आता है। उस दौरान जो भी प्राणी इस धरा पर जन्म लेता है वह इस योग के प्रभाव में आ जाता है।
एक से 12 तक कई नामों से कालसर्प दोष होता है। प्रत्येक भाव का फल भी अलग होता है। पीड़ित मनुष्य के कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा-यज्ञ में मंत्रोच्चार किया जाता है।