मंगलौर : नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन की शहादत के चालीस दिन पूरे होने पर चेहलुम का आयोजन किया गया। इमामबाड़ों में हजरत इमाम हुसैन तथा उनके साथ शहीद हुए साथियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस दौरान मोहल्ला पठानपुरा स्थित बड़े इमामबाड़े पर हुई मजलिस में मुल्क दुनिया में सुख शांति तथा कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया को निजात दिलाए जाने की दुआ की गई।
हजरत इमाम हुसैन तथा उनके साथियों की शहादत को चालीस दिन पूरे होने पर शिया अकीदतमंद शहीदाने करबला का चेहलुम मनाते हैं। मंगलवार को मोहल्ला पठानपुरा स्थित बड़े इमामबाड़े पर हजरत इमाम हुसैन के चेहलुम की मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस की शुरुआत तिलावत-ए-कुरान-ए-पाक से हुई। मजलिस को शेरकोट बिजनौर उत्तर प्रदेश से पधारे मौलाना सैयद हैदर अब्बास रजा ने संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन इंसानियत के अलंबरदार हैं। जिनको कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। करबला के मैदान में केवल सत्य तथा असत्य के बीच जंग थी। शासक इंसानियत के उसूलों को मिटाने की कोशिश कर रहा था। जबकि, हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत के परचम को बुलंद किया था। इसीलिए हिदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हजरत इमाम हुसैन का परचम आज भी बुलंद है। इसकी वजह यह है कि उन्होंने किसी जाति विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरी मानव जाति की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस मौके पर बारगाह-ए-बाबुल मुराद, जैनबिया तथा दरबारे हुसैन में भी मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस में चांद मियां, आदिल मंगलौरी, मीर जमीर, रौनक जैदी, सैयद रियाज हसन जैदी, रजब अली आरफी, मोहम्मद हुसैन वफा, हसनैन रजा जैदी, नजर अब्बास नकवी, हसन मोहम्मद आरफी, मोहम्मद आलम, दानिश जैदी आदि मौजूद रहे।