केंद्रीय सुरक्षा बल 'सीआरपीएफ' की 165वीं बटालियन ने छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ मिलकर ऐसा मुश्किल काम कर दिखाया है, जिसका इंतजार 2006 से हो रहा था।
17 साल के दौरान नक्सलियों के खिलाफ सैंकड़ों छोटे-बड़े ऑपरेशन किए गए। 2006 से पहले इमली मार्केट को लेकर जिस क्षेत्र की एशिया में तूती बोलती थी, नक्सलियों ने उसे बंद कर दिया था। वहीं सीआरपीएफ ने पुलिस के सहयोग से अब बीजापुर और दंतेवाड़ा को जोड़ने वाले व्यापार मार्ग को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त करा दिया है।
इतना ही नहीं, महज तीस दिनों में वहां पर दो फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस यानि एफओबी भी स्थापित कर दिए। ये एफओबी 'बेडरे' और 'कुंदर' में तैयार किए गए हैं। इसके चलते एशिया का सबसे बड़ा 'इमली' बाजार, अब एक नई करवट लेने की राह पर चल पड़ा है। सुरक्षा बलों का स्थायी कैंप बनने से जगरगुंडा का इमली बाजार, अब विकास की नई राह पर चलना शुरू होगा। पुराना व्यापार मार्ग शुरू होने से मिर्च और महुआ के कारोबार में भी तेजी आएगी।
सुरक्षा बलों के अधिकारियों का कहना है कि अगले पांच वर्ष में यह इलाका विकास की नई राह तय करेगा। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। जगरगुंडा-सिल्गर-बासागुड़ा एक्सिस पर परिचालन शुरू होने से आर्थिक विकास के रास्ते खुलेंगे। माओवादी हिंसा को समाप्त करने, शांति और स्थिरता लाने के उद्देश्य से सीआरपीएफ ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में पुलिस बलों के साथ मिलकर सुदूर क्षेत्रों में लगातार नए एफओबी स्थापित किए हैं।