पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय व लोकसभा के माध्यम से एक संदेश प्रसारित हुआ कि अमुक पंथ का अधिकार तो नहीं बनता लेकिन उपहार के रूप में उन्हें जमीन दी जाए। यह किसी नेता की आवाज हो सकती है, न्यायालय की भाषा यह नहीं हो सकती।
पुरी पीठाधीश्वर ने कहा कि उप्र सरकार मंदिर से 32 किमी दूर पांच एकड़ जमीन दे चुकी है। वे लोग इतने चतुर हैं कि मंदिर का स्वरूप क्या होगा, चुपचाप देखते रहे। जब मंदिर का स्वरूप सामने आ गया तब मक्का को मात देने की विधा से वे पांच एकड़ जमीन का उपयोग करेंगे। आने वाले समय में मथुरा, काशी को लेकर भी इसी निर्णय की पुनरावृत्ति होगी। फैसला वर्तमान में भले अच्छा लग रहा है, लेकिन भविष्य में उप्र में तीन पाकिस्तान बनाने की भूमिका बन गई है। योगी व मोदीजी को इस पर विचार करना चाहिए।