रुद्रप्रयाग: जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं होने से काश्तकारों की रबी की फसल खासी प्रभावित हो गई है, जिससे उनके माथे पर चिंता की लकीरें पड़ने लगी है. खेत-खलिहानों में मार्च महीने में खिलने वाला फ्योंली का फूल जनवरी माह में खिलने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. पर्यावरणविदों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फ्योंली का फूल निर्धारित समय से दो माह पहले ही खिल चुका है.मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से क्षेत्र का शीतकालीन पर्यटन व्यवसाय भी खासा प्रभावित हो रहा है. आने वाले समय में यदि मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं होती है तो मई, जून में बूंद-बूंद पानी का संकट होने के साथ बरसात के समय होने वाले सेब के उत्पादन पर भी खासा प्रभाव पड़ सकता है. मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट देखने को मिल रही है और आने वाले समय में पेयजल की समस्या गंभीर होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.
वहीं मदमहेश्वर घाटी क्षेत्र के गैड़ बष्टी के काश्तकार बलवीर राणा और व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष आनंद सिंह रावत ने बताया कि जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, मटर व सरसों की फसलें खासी प्रभावित हो चुकी हैं तथा आने वाले समय में काश्तकारों के सामने दो जून की रोटी का संकट बन सकता है.