उत्तराखंड में नए शिक्षक दुर्गम से सुगम क्षेत्र के स्कूलों में तबादलों के लिए मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री तक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन विभाग में कई ऐसे भी शिक्षक हैं जो उम्रदराज होने के बावजूद पहाड़ के दूरदराज के स्कूलों में ही सेवा देना चाहते हैं। उनकी गुजारिश पर शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने इस तरह के शिक्षकों को राहत देते हुए उन्हें कार्यमुक्त न करने का आदेश जारी किया है।
प्रदेश में शिक्षक हों या अधिकारी अधिकतर दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में तैनाती के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए रहते हैं। इसके लिए शिक्षक एवं अधिकारी विभिन्न स्तरों से सिफारिश लगाते हैं। कई बार नियमों को ताक पर रखकर इनके सुगम क्षेत्र में तबादले कर दिए जाते हैं, लेकिन माध्यमिक शिक्षा में 70 ऐसे शिक्षक हैं जिनकी उम्र 55 साल या इससे अधिक हो चुकी है। उम्र के इस पड़ाव में विभाग की ओर से तबादला एक्ट के तहत इन शिक्षकों के दुर्गम से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य तबादले किए गए हैं, लेकिन इन शिक्षकों ने विभाग को पहाड़ से उतरने से इनकार कर दिया। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इन शिक्षकों ने विभाग को दिए आवेदन में कहा है कि उन्हें दुर्गम क्षेत्र में ही बने रहने दिया जाए। इन शिक्षकों के अनुरोध पर शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने मंडलीय अपर निदेशक गढ़वाल व कुमाऊं को निर्देश जारी किए हैं। निदेशक ने कहा है कि उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम-2017 के तहत शैक्षिक सत्र 2022-23 में दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य रूप से स्थानांतरित शिक्षकों ने उम्र अधिवर्षता आयु के निकट होने, 55 वर्ष से अधिक आयु एवं अपनी पारिवारिक परिस्थितियों आदि को देखते हुए उन्हें दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में ही बने रहने का अनुरोध किया है।