सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सालों से जेल में बंद कैदियों की रिहाई ही भारत की आजादी के 75वें साल का जश्न मनाने का एक सही तरीका होगा। साथ ही सुझाव दिया कि, केंद्र सरकार को जल्द ऐसी कोई योजना तैयार करनी चाहिए। जिससे विचाराधीन और छोटे अपराधों में शामिल कैदियों की रिहा किया जा सके।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि, अगर किसी भी केस का फैसला 10 साल में नहीं होता है तो तो कैदियों को आदर्श रूप से जमानत पर छोड़ देना चाहिए। क्यों कि बीते हुए 10 साल किसी भी हाल में वापस नहीं आएंगे। सरकार आजादी के 75 साल को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मना रही है। ऐसे विचाराधीन और वे कैदी जो अपनी सजा का एक बड़ा हिस्सा जेल में काट चुके हैं, उन्हें रिहा करने का उपाय करना सही मायने में उत्सव का उपयोग है।
आइडिया यह है कि जेलों और ट्रायल कोर्ट का बोझ कम हो। इसके लिए केंद्र को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बातचीत कर नीति विकसित करनी चाहिए। जिससे कुछ श्रेणियों के विचाराधीन कैदियों व दोषियों को एक निश्चित अवधि के बाद रिहा किया जा सके।