आपदा में अपनों के लापता होने का गम क्या होता है, इसे भला परिजनों से ज्यादा कौन समझ सकता है। अपनों के इंतजार में परिजनों की पथराई आंखें गांव के रास्ते पर ही नजर बनाई हुईं हैं। परिजन आज भी जितेंद्र की बाट जोह रहे हैं। आपदा के दिन से जितेंद्र का कोई पता नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि एक न एक दिन उनका लाड़ला घर लौटेगा। आपको बता दें कि टिहरी के रौलाकोट निवासी जितेंद्र चमोली आपदा के दिन से ही लापता हैं। परिजन आज भी जितेंद्र की बाट जोह रहे रहे हैं।
परिजनों ने कहा कि हमारा उत्तराखंड सरकार से अनुरोध है कि वह मोबाइल कॉल को सर्विलांस में लगाकर खोजबीन करें. जितेंद्र 2017 से तपोवन के पावर प्लांट में काम कर रहा है. वहीं, रौलाकोट के पूर्व प्रधान उमेद लाल ने कहा कि सरकार को जितेंद्र के मोबाइल की लोकेशन निकाल कर, उस जगह पर रेस्क्यू करना चाहिए, जिससे जितेंद्र के बारे में पता चल सकें।