चीनी मिलों ने पिछले पांच साल से गन्ना समितियों के कमीशन का भुगतान नहीं किया है। चीनी मिल प्रबंधन 85 करोड़ रुपये के कमीशन पर कुंडली मारे बैठे हैं। कमीशन का पैसा नहीं मिलने से गन्ना समितियों के कर्मचारियों के वेतन देने का संकट खड़ा हो गया है।
गन्ना विकास समितियों के माध्यम से शुगर मिलों को किसानों का गन्ना बिकवाया जाता है। इसकी एवज में गन्ना विकास समितियों को तीन प्रतिशत मीशन शुगर मिलों की ओर से दिया जाता है। इस कमीशन में से 25 प्रतिशत की राशि गन्ना विकास परिषदों को दे जाती है। जिससे इकबालपुर, लक्सर और लिब्बरहेड़ी गन्ना विकास परिषद की ओर से सड़कें आदि विकास कार्य कराने के साथ ही गन्ना किसानों के हितों में कार्य किए जाते हैं। जबकि ज्वालापुर, लक्सर, इकबालपुर, लिब्बरहेड़ी समिति के के लगभग 133 कर्मचारियों को वेतन और समितियों के समस्त खर्च भी कमीशन के पैसों से ही चलाए जाते हैं।
अब समितियों की ओर से अप्रैल का वेतन देने के साथ ही मई का वेतन भी दे दिया जाएगा। पर यदि जल्द ही मिलों की ओर से कमीशन का पैसा जारी नहीं किया गया तो आने वाले समय में कर्मचारियों को वेतन का लाले पड़ सकते हैं। उधर, इस धन से समितियों से जुड़े गन्ना किसानों को छूट पर गन्ने का बीज, खाद, कीटनाशक और दवा आदि भी दिए जाना भी बजट के अभाव में प्रभावित हो सकता है। समितियों के अन्य खर्च भी चलाने मुश्किल हो सकते हैं।