उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के गांव चिटहेरा में अनुसूचित जाति के लोगों के पट्टों की खरीद फरोख्त को लेकर दादरी पुलिस के दर्ज मुकदमे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की अग्रिम जांच पर रोक लगी दी है। उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे और कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा के भाई साकेत बहुगुणा की कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में मुकदमे को निराधार बताने वाली याचिका पर न्यायालय ने रोक लगाई है। हाईकोर्ट के स्टे से अब ग्रेटर नोएडा जिला प्रशासन के आदेश पर हुई एफआईआर पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं।इसी मामले में उत्तराखंड के तीन नौकरशाहों के रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया है। मुख्यमंत्री के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के ससुर भास्करन, आईएएस ब्रिजेश कुमार संत के पिता पूर्व आईएएस केएम संत और डीआईजी राजीव स्वरूप की माता सरस्वति इस केस में आरोपी हैं। इन तीनों पर भी आरोप है कि भू माफिया यशपाल तोमर के साथ मिलकर इन्होंने चिटहेरा गांव में अनुसूचित जाति के लोगों को आवंटित पट्टों की खरीद फरोख्त में गड़बड़ी की है। हालांकि यह जांच का विषय है कि दादरी पुलिस ने किस आधार पर केवल खरीदारों को आरोपी बनाया जबकि जमीन की खरीद फरोख्त में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों को मामले से बाहर रखा। अगर यह खरीद वैधानिक नहीं है तो ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अफसरों ने उसका अधिग्रहण किस आधार पर किया। ऐसे में तो उस दौरान वहां तैनात रहे अफसर भी आरोपी होने चाहिए। बता दें कि कोर्ट से पहले ही चार आरोपियों साकेत बहुगुण की कंपनी, मुख्यमंत्री के सचिव मिनाक्षी सुंदरम के ससुर एम भास्करन, आईएएस ब्रिजेश संत के पिता केएम संत और डीआईजी राजीव स्वरूप की माता सरस्वति को अग्रिम जमानत मिल चुकी है।