उत्तराखंड में हर महीने औसतन एक बाघ की मौत हो रही है। इसमें शिकार के मामले भी शामिल हैं। पिछले साल चंपावत जिले में एक बाघ की खाल बरामद हुई थी। इस साल हरिद्वार जिले में बाघ की दो खाल पकड़ी जा चुकी हैं।
वन्यजीव संरक्षण को लेकर कार्य करने वाली संस्था वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया (डब्लूपीएसआई) के प्रोग्राम मैनेजर टीटो जोजफ कहते हैं कि उत्तराखंड में बाघों की मौत के मामलों पर गौर करें तो पिछले साल 13 बाघों की प्राकृतिक मौत हुई थी। शिकार के बाद एक बाघ की खाल चंपावत जिले में बरामद हुई थी। इस साल भी पांच बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें दो खालें हरिद्वार जिले में बरामद हुई हैं। संस्था के प्रदेश में प्रोजेक्ट मैनेजर राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि वन विभाग को और संजीदा होने के साथ शिकारियों के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की जरूरत है।