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• Fri, 12 Mar 2021 4:07 pm IST


मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने ये हैं बड़ी चुनौती



उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुए लगभग 20 साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है । वहीं इन 20 सालो में सत्ता के कई चेहरों नेउत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाली । वहीं अब राज्य कि बागडोर तीरथ सिंह रावत के हाथो में सौप दी गई है भाजपा के कार्यकाल में सिर्फ 1 साल का वक्त बचा है , लिहाज़ा इस एक साल में तीरथ सिंह रावत पर प्रदेश को संतुलन में लाने की चुनौती सामने खड़ी है । 

।मसलन इस एक साल में प्रदेश की स्थिति को संतुलन करने सहित मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा , ये आज हम जानेंगे । 

1.सबसे पहले बात करते हैं सरकार के विकास कार्य में तेजी की ---

प्रदेश में भाजपा सरकार के विकास कार्यों का धीमी गति से चलना 2022 के चुनावो पर असर डालता नजर आ रहा है । चार धाम यात्रा प्रोजेक्ट से लेकर सीवर, पेयजल, सड़क निर्माण जैसी तमाम योजनाएं धीमी गति से चल रही है । जिसके चलते आम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । वहीं विकास कार्यो में तेजी लाना मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए अहम चुनौतियों में से एक है । 

2.विपक्ष के आरापों को मिटाना 

त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के चलते लगातार विपक्ष ने रावत सरकार पर भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगाए हैं  । वहीं तीरथ सिंह रावत के लिए इन आरोपों को मिटाना आसान नहीं है । लेकिन अगर तीरथ सिंह रावत आने वाले एक साल में इन आरोपो का मिटाने का काम करती है तो यह उनकी एक बड़ी उपलब्धि में से एक हो सकता है । 

3. त्रिवेंद्र के समर्थकों को साथ लेके चलना

राजनीतिक स्तर पर त्रिवेंद्र के समर्थकों को साधना भी तीरथ सिंह रावत के लिए एक भारी चुनौती है । वहीं पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों को एक साथ लेकर चलना और उनकी विचारधारा को समझना तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व को दर्शाने का काम करेगा । 

  4.अपनी ही सरकार के फैसलों को बदलना

भाजपा सरकार राज्य में बीते 4 सालो में कई अहम फैसले ले चुकी है । इनमें से कुछ फैसले लोगो के हित में हुए तो कुछ फैसले राज्य के लोगो को नागवार गुजरे । उदाहरण के तौर पर  देवस्थानम बोर्ड के गठन और गैरसैंण को मंडल बनाने का निर्णय को लेकर लोगो में भारी गुस्सा है। वहीं अब देखना यह होगा कि राज्य के नए सीएम तीरथ सिंह रावत अपनी ही सरकार के फैसलो को बदलेंगे या नहीं ?

समय कम है और काम ज्यादा, लिहाज़ा अब देखना यह है कि इस कम समय में तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार इन चुनौतियों पर खरी उतरती है या नहीं ?