वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते समय एक प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है, जो हमारे मन मस्तिष्क के विकास के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार शरीर के अंदर करती है। शरीर के साथ-साथ ये ध्वनि तरंगे अपने आसपास का वातावरण भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देती हैं। पौराणिक काल में ध्वनि से दीपक जलाने से लेकर वर्षा रोकने या कराने तक के प्रमाण हैं। लेकिन जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं। यदि आप उन नियमों का पालन करेंगे तो आपके घर में न केवल सुख-शांति आयेगी, बल्कि आपका स्वाथ्य भी अच्छा रहेगा। ध्यान रखें कि मंत्र आस्था से जुड़ा है और यदि आपका मन इन मंत्रों को स्वीकार करता है तभी इसका जाप करें। मंत्र जप करते समय शांत चित्त रहने का प्रयास करें। मंत्र जप, एक ऐसा साधन है जिससे किसी भी प्रकार की समस्या को दूर किया जा सकता है। सभी शास्त्रों ने मंत्रों को बहुत ऊर्जावान और चमत्कारी बताया है। यानी मंत्रों से मनोकामना प्राप्त की जा सकती है। लेकिन बदलते समय के साथ हम इस परंपरा से दूर होते जा रहे हैं। आज हम आपको 10 ऐसे मंत्रों के बारे में बता रहे हैं जो प्रातः उठने से लेकर रात को सोने से पहले हर व्यक्ति को बोलना चाहिए।
ये हैं दस मंत्र
1- सुबह उठते ही अपनी दोनों हथेलियां देखकर ये मन्त्र बोलें (कर दर्शन मंत्र)
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वति। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ।।
2- धरती पर पैर रखने से पहले ये मंत्र बोलें
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले। विष्णुपंत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥
3- दातून (मंजन) से पहले ये मंत्र बोलें
आयुर्बलं यशो वर्च: प्रजा: पशुवसूनि च। ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते।।
4- स्नान से पहले बोलें ये मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥
5- सूर्य को अर्ध्य देते समय बोलें ये मंत्र
ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य:प्रचोदयात
6- भोजन से पहले ये मंत्र बोलें
ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै। तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥ अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्। ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।
7- भोजन के बाद पढें ये मंत्र
अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम। भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं ।।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः। यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।
8- अध्ययन (पढाई) से पहले ये मंत्र बोलें (सरस्वती मंत्र)
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
9- संध्या पूजा करते समय बोलें ये मंत्र (गायत्री मंत्र)
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
10- रात्रि को सोने से पहले पढ़ें ये मंत्र (विशेष विष्णु शयन मंत्र)
अच्युतं केशवं विष्णुं हरिं सोमं जनार्दनम्। हसं नारायणं कृष्णं जपते दु:स्वप्रशान्तये।