देश के कोने-कोने में भले ही दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण, मेघनाथ के पुतल जलाने की परंपरा हो। लेकिन देहरादून के जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र के उदपाल्टा गांव में श्राप से मुक्ति के लिए दो बहनों की दूब की घास की प्रतिमाओं को बनाकर जल में विसर्जित करने की पंरपरा है।
होता है गागली युद्ध
अष्टमी के दिन रानी और मुन्नी दोनों बहनों की प्रतिमाओं को बनाकर पूजा जाता है और दशहरे के दिन जल में विसर्जित किया जाता है। उदपाल्टा गांव में दशहरे के दिन पांइथा पर्व मनाने की परंपरा है। श्राप से मुक्ति पाने के लिए आज भी उदपाल्टा व कुरोली गांव में गागली युद्ध होता है। जिसे देखने आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में लोग आते हैं।