जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग प्रशासन ने जांच रिपोर्ट में गर्भवती नाबालिग की मौत के लिए उसकी मां की भूमिका को संदिग्ध बताया है। रिपोर्ट के अनुसार, बेटी की सांसें टूटी रही थीं, लेकिन मां, बेटी को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए तैयार नहीं हुई। डॉक्टर बार-बार मां को बेटी की हालत के बारे में आगाह करते रहे लेकिन वह जिला अस्पताल में ही इलाज कराने की बात पर अड़ी रही। हालांकि, इस रिपोर्ट में अस्पताल की लापरवाही पर पूरी तरह पर्दा डाल दिया गया। अस्पताल प्रशासन लड़की की मां की जिद के आगे क्यों झुका? इस सवाल का जवाब रिपोर्ट में नहीं है।
अस्पताल की तीन सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की है। रिपोर्ट के अनुसार, लड़की की मां ने अस्पताल में पुरुष डॉक्टर तो दूर महिला डॉक्टर को भी बेटी को छूने नहीं दिया। यहां तक कि पेशाब की जांच भी नहीं कराने दी। जब चिकित्सकों ने हिमोग्लोबिन कम होने और खून अस्पताल में नहीं होने पर सीधे हायर सेंटर रेफर करने के लिए कहा तो वह हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी। अस्पताल प्रबंधन ने रेफर के कागजात तैयार कर दो बार एंबुलेंस भी बुलाई लेकिन महिला बेटी को ले जाने के लिए तैयार नहीं हुई। परिजन श्रीनगर से दो यूनिट खून भी लेकर आ गए। उनका कहना था कि बेटी का इलाज रुद्रप्रयाग में ही किया जाए।