आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी से संबंधित गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वरद चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है इस दिन गणेश जी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए वरद चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
वरद चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ-29 सितंबर को सुबह 1 बजकर 28 मिनट बजे।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक।
रवि योग- सुबह 6 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 13 मिनट तक।
राहुकाल- दोपहर 1 बजकर 41 मिनट से 3 बजकर 10 मिनट तक।
वरद चतुर्थी 2022 पूजा विधि
चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नानादि करके लाल या पीले वस्त्र धारण कर लें।
अब पूजा स्थल पर या फिर एक लकड़ी की चौकी में पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर लें।
भगवान गणेश को पुष्ण के माध्यम से जल चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं।
अब उन्हें अति प्रिय चीज दूर्वा, फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें।
घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
फिर प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें। पारण के दिन सुबह पुनः भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने का प्रावधान है।