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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 6 Jul 2022 4:33 pm IST


जिंदगी का नेट प्रॉफिट


टीवी पर एक विज्ञापन में ये पंक्तियां आजकल काफी सुनाई देती हैं। संदर्भ सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के तहत फैलाई जा रही झूठी या आधी-अधूरी सूचनाओं से उपजी गफलत का है। विज्ञापन इस ताकतवर संदेश के साथ समाप्त होता है कि ‘गलती किसी की भी हो, नुकसान तो आपका हो गया ना।’ यानी झूठ का पुलिंदा तैयार कोई भी करे, अगर आपने ज्यों का त्यों उसे स्वीकार कर लिया तो नुकसान में आप रहेंगे। विज्ञापन का संबंध चूंकि इनामी राशि से है, इसलिए बात एक झटके में सबकी समझ में आ भी जाती है, वरना सत्य के साथ फायदे का रिश्ता जोड़ना एक कठिन काम है। बचपन से ही झूठ हमें कदम-कदम पर एक आसान विकल्प के रूप में मौजूद मिलता है। सच का साथ पकड़ने के लिए आपको साहस करना होता है, जोखिम उठाना पड़ता है। इसके बरक्स झूठ अपनी मुस्कान के साथ सदा तत्पर रहता है आपके साथ चलने को। पर झूठ तो झूठ है। कितने कदम साथ रहेगा, कोई गारंटी नहीं। लेकिन अगर सच को चुनें तो क्या मजाल कि वह साथ छोड़ दे। पूरी दुनिया चाहे आपसे अलग हो जाए, आपका सच आपके साथ बना रहता है, अंत तक।

यही बात उन्होंने अपनी मां के मुंह से सुनी थी। और आप तो जानते हैं, बचपन में मां के मुंह से सुनी बात और मत्यु शैय्या पर पड़े पिता की बात से ज्यादा वजनदार इस लोक में कुछ भी नहीं। सो, तमाम दुनियावी छल-प्रपंच से गुजरते हुए और अक्सर उनका हिस्सा बनते हुए भी वह अपने जहन में बैठे इस सबक को अंदर से निकाल नहीं सके। जरूरत के मुताबिक झूठ का सहारा लेते हुए भी अंदर से इस बात के लिए तैयार रहते थे कि यह किसी भी पल साथ छोड़ सकता है। ठीक ऐसे ही सच्चे लोगों को विरोधी खेमे में पाकर उनसे लड़ते हुए, उन्हें गिराने की कोशिश करते हुए भी मन के अंदर उनकी सचाई के लिए थोड़ी सी इज्जत बनी रहने देते। इन दोनों बातों का कमाल था कि वह जब भी गिरे, दोबारा उठ खड़े होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। और हां, गिरी हुई दशा में सहारा देने वाले हाथ अप्रत्याशित रूप से उन तक पहुंच जाते। मजे की बात, अक्सर इन अदृश्य हाथों का संबंध विरोधी खेमे से होता था।

और अब जब पत्नी साथ छोड़ गई हैं, बच्चे विदेश में सेटल हैं, स्वास्थ्य लाचार किए हुए है, जीवन की तकरीबन सारी लड़ाइयां समाप्त हो चुकी हैं, तो अपने हिस्से का सच ही उन्हें वह संतोष, सुकून मुहैया करा रहा है, जिसे वह इस पूरे जीवन का शुद्ध मुनाफा यानी नेट प्रॉफिट समझते हैं।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स