Read in App


• Tue, 23 Jul 2024 11:19 am IST


तालकटोरा में प्रकाश


तुलसी दुरेजा 76 साल की उम्र में भी बैडमिंटन कोर्ट में जीतने के लिए उतरते हैं। उन्होंने 1962 में पहली बार अपने लाजपत नगर के गवर्नमेंट मॉडल स्कूल की बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती थी। तब वह 14 साल के थे। उसके तुरंत बाद वह दिल्ली की सब जूनियर बैडमिंटन टीम के मेंबर बन गए। उन्होंने इस दौरान ना जाने कितनी प्रतियोगिताएं जीतीं।

बीते दिनों त्यागराज स्टेडियम में आयोजित दिल्ली स्टेट बैडमिंटन चैंपियनशिप में तुलसी दुरेजा ने दिवाकर जोशी के साथ 70+ उम्र कैटिगरी में डबल्स का खिताब जीता। अपनी खिताबी जीत से ज्यादा तुलसी दुरेजा इस बात से खुश हैं कि उनके पुराने दोस्त प्रकाश पादुकोण पेरिस ओलिंपिक खेलों में भारतीय बैडमिंटन टीम के मेंटर होंगे। दुरेजा कहते हैं, प्रकाश जेंटलमैन प्लेयर रहे। कभी नेगेटिव पॉइंट नहीं देते थे। उनका नेट पर खेल लाजवाब हुआ करता था। जब 1982 में यहां एशियाई खेल हुए तो प्रकाश पादुकोण भारतीय टीम के नॉन प्लेइंग कैप्टन थे। वह जब भारतीय टीम के साथ मॉडर्न स्कूल के शंकर लाल हॉल में प्रैक्टिस करने आते, तो अन्य देशों के खिलाड़ी भी उन्हें देखने के लिए अपनी प्रैक्टिस रोक देते। वह उस दौर के सुपर स्टार थे।

प्रकाश पादुकोण ने तालकटोरा स्टेडियम में मरहूम सैयद मोदी, उदय पवार आदि के साथ कई यादगार मैच खेले। वह 1980 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियन बने तो दरियागंज के लोहे के पुल पर उनका एक बड़ा सा पोस्टर लगा। उस पर लिखा था- ‘प्रकाश, इंडिया इज प्राउड ऑफ यू।’ प्रकाश पादुकोण और तुलसी दुरेजा आधी सदी पुराने दोस्त हैं। वह दुरेजा से दिल्ली बैडमिंटन का हालचाल लेते रहते हैं। दुरेजा दिल्ली बैडमिंटन की प्राण और आत्मा हैं।


वह दिल्ली से 1972-83 के बीच खेले। उसके बाद वह 35+,45+ और 55+ कैटिगरी में खेले। उन्हें बैडमिंटन के नियमों की गहरी समझ है। वह एशियाड-82 में चीन और इंडोनेशिया टीम के बीच हुए फाइनल मैच की अंपायरिंग कर रहे थे। वह एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिसने बैडमिंटन, क्रिकेट और वालीब़ॉल में दिल्ली की राष्ट्रीय स्कूल खेलों में नुमाइंदगी की है। इस दौरान रोज दर्शकों से स्टेडियम भर जाता था। पर, बैडमिंटन के चाहने वालों को मलविंदर ढिल्लन और हंसराज कॉलेज के बलवंत चावला की कमी खलती है। दोनों 1970 और 1980 के दशक में दिल्ली बैडमिंटन के शिखर नाम थे।

बलवंत चावला 1980 में दिल्ली के सिंगल्स चैंपियन बने। वह रामजस स्कूल, दरिय़ागंज में पढ़ते हुए ही दिल्ली के सब जूनियर और फिर जूनियर चैंपियन बन गए थे। हैंडसम ढिल्लन दिल्ली के कई बार चैंपियन रहे। दिल्ली में करीब दो-ढाई दशक पहले तक तालकटोरा स्टेडियम में होने वाली बैडमिंटन प्रतियोगिताओं को देखने के लिए सारी दिल्ली से दर्शक पहुंचा करते थे। फिर कुछ सालों तक सन्नाटा भी रहा। इसी दिल्ली में दिनेश खन्ना, विक्रम सिंह, सरोजनी नगर वाले हरजीत सिंह, एस.पी. सिंह, सुरेंद्र मोहन पुरी, दीपक शर्मा जैसे शानदार खिलाड़ी खेले।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स