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• Mon, 5 Apr 2021 4:50 pm IST


वन अग्नि’राज्य की प्रमुख समस्या


उत्तराखंड राज्य के जंगलो में आग लगना व फैलना कोई नई बात है ।इतिहास के आईने में झांके तो काफी लंबा चोड़ा आंकड़ा सामने आता है । राज्य के जंगलो में में 1992, 1997, 2004 और 2012 में भी बड़ी आग लगी थी । गौर करने वाली बात यह है कि साल 2016 में जब राज्य के जंगलो में लगी आग इस हद तक फैली की  आग बुझाने के लिए वायु सेना, थल सेना और एनडीआरएफ़ तक को लगाना पड़ा है । 

1 अक्टूबर 2020 से जंगलों में आग की घटनाएं सामने आने लगी थीं। वन विभाग की दी गई जानकारी के अनुसार तब से अब तक प्रदेश में आग की कुल 609 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे 1263.53 हेक्टेयर जंगल भस्म हो चुका है। 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 2 लोग घायल हुए हैं। 7 पशुओं की भी आग के कारण मौत हुई है और 22 पशु घायल हुए हैं। हर साल की तरह इस बार में आग लगने से सबसे नुकसान पौड़ी जिले में हुआ है। यहां अब तक आग की 92 घटनाओं में 217.4 हेक्टेअर जंगल जल गये हैं और दो लोगों की मौत हुई है। दो अन्य लोगों की मौत अल्मोड़ा जिले में हुई है। पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में आग लगने की 94-94 घटनाएं दर्ज की गई हैं। पिथौरागढ़ में 153.5 हेक्टेअर और चम्पावत में 128.9 हेक्टेअर जंगल जले हैं।

वर्तमान की बात करें तो अप्रैल की शुरुआत में ही राज्य में जंगलों की आग नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। नैनीताल और अल्मोड़ा समेत कई जिलों में सैकड़ों जगहों पर आग लगी हुई है और इस आग में लगभग 80 एकड़ जंगल जलकर खाक हो गया है।

क्या है इस आग का मुख्य कारण 

राज्य के जंगल में लगने वाली ‘आग’ के वैसे तो बहुत से कारण है । कभी ये मानवीय होती है , तो कभी प्राकृतिक होती है । लेकिन वर्तमान में लगी इस आग का मुख्य कारण तापमान का बढ़ना बताया जा रहा है । जैसे कि साल 2021 की सर्दी में बारिश व बर्फबारी दोनो ही चीजो में भारी कमी देखने को मिली थी , और इसी वजह से फरवरी के महिनें में काफी गर्मी बढ़ी । गर्मी बढ़ने की वजह से जगंल सुखने लगे व तापमान में भी इजाफा होने लगा । मौसम विभाग की ओर से जारी बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल जनवरी से मार्च के महिने तक उत्तराखंड में केवल 10.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर इस अवधि में 54.9 मिमी बारिश होती है। यानी सामान्य से 80 प्रतिशत कम बारिश हुई। आग से सबसे ज्यादा प्रभावित पौड़ी जिले में 92 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। इस अवधि में पौड़ी जिले में सामान्य रूप से 36.6 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार मात्र 3.1 मिमी बारिश हुई। बढ़ता तापमान भी जंगलों में आग की घटनाओं को हवा दे रहा है। इस वर्ष राज्य के सभी हिस्सों में फरवरी से ही तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा चल रहा है। प्राकृतिक द्वारा हुई इन घटनाओं को फिलहाल राज्य के जंगलो में आग लगने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

वन अग्नि के प्रति सरकार के निर्णय 

वन अग्नि की इस गुत्थी को सुलझाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों 10 हजार वन प्रहरी नियुक्ति करने की घोषणा की थी । लेकिन आलम ये है कि अब तक ये नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। गौर करने वाली बात यह है कि राज्य के जंगलो में जब आग लगती है तो सबसे ज्यादा मद्द स्थानीय लोगो द्वारा ही की जाती है । वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2522 स्थानीय नागरिक आग बुझाने में वन विभाग के कर्मचारियों की मदद कर चुके हैं। वन विभाग के 4313 कर्मचारी आग बुझाने के काम में शामिल हुए हैं, जबकि 74 पुलिसकर्मी, 31 एसडीआरएफ के जवान और राजस्व विभाग के 9 कर्मचारी भी अब तक आग बुझाने के सहयोग कर चुके हैं। वहीं हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का अमित शाह से जंगलो में लगी आग के संबन्ध में बात करना साफ तौर पर ये बताता है कि आग की वजह से राज्य के जंगलो के स्थिति भयानक होती जा रही है , लिहाज़ा राज्य सरकार भी अब इस परेशानी से निपटने में असफल होती नजर आ रही  है ।