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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 10 Aug 2023 1:53 pm IST


हजारों हथियार लुटे, अब क्या होगा मणिपुर में


पिछले हफ्ते मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाके बिष्णुपुर में 45 गाड़ियों पर सवार लगभग 500 लोगों ने इंडिया रिजर्व बटालियन-2 (IRB-2) के मुख्यालय पर धावा बोल दिया। नारानसीना स्थित मुख्यालय को अपने कब्जे में लेकर इन लोगों ने शस्त्रागार से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और अन्य युद्ध सामग्री लूट ली।

लुटी आर्मरी

IRB के क्वार्टर मास्टर ओ प्रेमानंद सिंह ने मामले की FIR जिले के मोइरांग पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है। इस शिकायत में पूरा सिलसिला कुछ यूं बताया गया है-

हमलावरों ने सुबह पौने दस बजे के आसपास मुख्य द्वार पर संतरी और क्वॉर्टर गार्ड को अपने कब्जे में ले लिया और अंदर जाकर IRB आर्मरी के दो दरवाजे तोड़ डाले।
हमलावरों ने आर्मरी से एक AK सीरीज असॉल्ट राइफल, 25 इंसास राइफल, 4 घातक राइफल, 5 इंसास LMG, 5 MP-5 राइफल, 124 हैंड ग्रेनेड, 21 SMC कार्बाइन, 195 SLR, 38 पिस्तौल (9 MM), 134 डेटोनेटर, 23 GF राइफल, 81 बम (51 MM HE) के साथ 19 हजार कारतूस लूट लिए।
दावा है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 320 राउंड गोला-बारूद और 20 आंसू गैस के गोले दागे गए, मगर आश्चर्य है कि न तो इससे कोई घायल हुआ, न पकड़ा गया।

मणिपुर में जबसे उपद्रव शुरू हुआ है, तभी से सुरक्षा बलों के हथियार तो लूटे ही गए, इंफाल शहर में हथियारों की कई दुकानें भी लूटी गई हैं।

यह सरकारी आंकड़ा है कि तीन अगस्त से पहले पूरे मणिपुर में 37 जगह पर हथियारों की लूट हुई।
पुलिस का कहना है कि 10 जगह से कुकी समुदाय ने हथियार लूटे और 27 जगह से मैतेई ने।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज से 446 हथियार लूटे गए। 7 मणिपुर राइफल से 1598 हथियार लूटे गए। 8 IRB से 463 हथियार लूटे गए।
लूटे गए हथियार में LMG, MMG, असॉल्ट, इंसास AK, MP -5, स्निपर, पिस्टल और कार्बाइन शामिल हैं। कुल लूटे गए कारतूसों की संख्या 6 लाख है।
राज्य में पहले ही एक लाख गन लाइसेंस हैं। कई प्रतिबंधित संगठन भी हथियार रखते हैं, जिनका विधिवत समझौता केंद्र सरकार के साथ है।
ऐसे में अब राज्य में हथियारों की कुल संख्या कितनी हो चुकी है, ठीक-ठीक किसी को नहीं पता।
वहीं सुरक्षा बलों को लेकर भी अंतर्विरोध देखने को मिल रहे हैं। कुकी नहीं चाहते कि उनके इलाके में राज्य की पुलिस आए, तो मैतैई असम राइफल्स का विरोध कर रहे हैं। जिस दिन आर्मरी लुटी, उसी के अगले दिन चार अगस्त को बिष्णुपुर में ही दोनों सुरक्षा बल आपस में भिड़ गए।

बढ़ती मुसीबत

बीते दो सालों में म्यांमार से आए कुकी-चिन जनजाति के तकरीबन एक लाख शरणार्थियों ने मिजोरम में डेरा डाल रखा है। इनमें से कई वहां के सुरक्षा बलों और दमकल सेवा में थे और कई सशस्त्र सरकार विरोधी संगठनों में। मणिपुर की लपटें केवल इस राज्य की सीमा तक नहीं हैं, क्योंकि पूर्वोत्तर राज्य सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अब वहां दोनों समुदायों के लोग यूनाइटेड नैशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), कांगलेई यावोल कन्ना लुप (KYKL) और पीपल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK) जैसे प्रतिबंधित संगठनों को समर्थन और बढ़ावा दे रहे हैं।

चले मुहिम

कई आतंकवादी और संगठित अपराधियों के गिरोह भी मणिपुर और मिजोरम के ऐसे लोगों के संपर्क में हैं, जिनसे वे हथियार खरीद सकते हैं। मणिपुर में अफीम की खेती और उस पैसे का दुरुपयोग भी सर्वविदित है। ऐसे में सरकार को यहां शांति प्रयास युद्धस्तर पर चलाने होंगे। इसका रास्ता तभी आसान होगा, जब सुरक्षा बलों से लूटे और सीमापार से अवैध रूप से आए हथियारों को जब्त करने की व्यापक मुहिम चले। भारत के किसी भी हिस्से में इतनी बड़ी संख्या में बेशकीमती हथियार सुरक्षा बलों से बाहर किसी के पास नहीं हैं। समझना होगा कि इतने हथियार काफी हैं, और अधिक हथियार लूटने के लिए।

  सौजन्य से : नवभारत टाइम्स