दुनिया में इन दिनों टेक्नॉलजी वॉर भी चल रही है। यह मुकाबला खासतौर पर अमेरिका और चीन के बीच दिख रहा है। इस जंग में चीन की बढ़त रोकने के लिए अमेरिका से कई चीजों के वहां निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। खासतौर पर अत्याधुनिक चिप के चीन को निर्यात पर उसने सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं। यह बात इसलिए मायने रखती है कि जेनरेटिव AI का जमाना शुरू हो चुका है, जिसके लिए खास चिप की जरूरत पड़ती है। अमेरिका और चीन दुनिया की दो बड़ी इकॉनमी हैं और भारत के कुछ वर्षों में पांचवें से तीसरे नंबर पर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का संकल्प भी किया है। लेकिन इसके लिए भारत को भी AI और जेनरेटिव AI की टेक्नॉलजी में आगे बढ़ना होगा, जिसमें अभी वह पीछे है। कई चीजें हैं, जो इसमें भारत की मदद कर सकती हैं। गूगल के बॉस सुंदर पिचाई और माइक्रोसॉफ्ट के बॉस सत्य नडेला ने इसकी ओर इशारा किया है। दोनों का कहना है कि भारत को AI युग में ले जाने में यहां इंटरनेट यूजर्स की बड़ी संख्या मददगार हो सकती है। यहां जो विशाल कंटेंट तैयार हो रहा है, उसकी मदद से लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) को बेहतर ट्रेनिंग दी जा सकती है।
भारत की दूसरी बड़ी ताकत है सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की भारी संख्या। असल में, AI की मदद से अगर देश प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने में कामयाब रहा तो उसके लिए विकसित देश के लक्ष्य की ओर बढ़ना आसान होगा। इन्फॉरमेशन टेक्नॉलजी सर्विसेज की दुनिया में वह अपना मकाम बना चुका है। AI की मदद से सर्विसेज एक्सपोर्ट कहीं अधिक तेजी से बढ़ सकता है। रघुराम राजन जैसे अर्थशास्त्री भी कह चुके हैं कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री की तुलना में सर्विसेज इंडस्ट्री की ग्रोथ पर फोकस करना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत ने हाल के वर्षों में कुछ चीजों की मैन्युफैक्चरिंग में कामयाबी हासिल की है। खासतौर पर एपल का भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग कामयाब रही है। इलेक्ट्रॉनिक गुड्स में भी यह कामयाबी दिख रही है। वहीं, डिफेंस एक्सपोर्ट में भी पिछले कुछ वर्षों में अच्छी बढ़ोतरी हुई है।
मौजूदा सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ कैंपेन के जरिये इन क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है और उसने परफॉरमेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाएं भी कई क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च की हैं। ये प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन AI में काममयाबी का भी भारत के पास आधार है। हां, इसके लिए लोगों को स्किल सिखानी होगी। यहां सरकार की भूमिका हो सकती है। दूसरी ओर, बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को जल्द ही AI स्किल्स सिखाना शुरू कर सकती हैं। इसलिए मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज इंडस्ट्री में AI के जानकारों की मांग बढ़नी तय है, जो देश को विकास के नए रास्ते पर ले जाएंगे।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स