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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 19 Apr 2022 12:57 pm IST


नई शिक्षा नीति आ भोजपुरी के पाठ्यक्रम


भारत सरकार के नई शिक्षा नीति, 2020 के घोषणा में अनुशंसा भइल बा कि अब पांचवी वर्ग तक के छात्रन के आपन मातृभाषा, स्थानीय भाषा आ राष्ट्रभाषा में पढ़ावल जाई, बाकी विषय चाहे ऊ अंग्रेजीये काहे ना होके, ओकरा एगो सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ावल जाई।

ई घोषणा के आलोक में बिहार सरकार के ओर से ऐलान भइल कि साल 2026 तक पहली से बारहवीं के किताब बदल जाई। एकरा खातिर शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ लो पाठ्यक्रम बदले के तैयारी शुरू कर देले बाड़न। पाठ्यक्रम बनला के बाद पांचवी कक्षा तक मगही भोजपुरी, अंगिका में पढ़ाई होखी। नया पाठ्यक्रम आ नया किताबन से सवा दो करोड़ से ज्यादा विद्यार्थियन के लाभ मिली।

बिहार में जहां यूजी से पीजी ले आ आगे पीएचडी ले भोजपुरी के पढ़ाई आ शोध होखेला जेकरा में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, कुंवर सिंह विवि आरा, जय प्रकाश नारायण विवि छपरा आ नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी, पटना प्रमुख बा। उत्तर प्रदेश में शांति मिश्रा पुनर्वास विवि, लखनऊ आ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रमुख बा, बाकिर दीनदयाल उपाध्याय विवि गोरखपुर आ पूर्वांचल विवि जौनपुर में हिंदी पीजी में एक पत्र भोजपुरी के पढ़ाई होखेला। साल 2008 में इग्नू में भोजपुरी भाषा केंद्र खुलल बा लेकिन केंद्र के निष्क्रिय राखल बा ओकर कारण विश्वविद्यालय प्रशासन बता सकेला, बाकिर बीए स्तर तक के पढ़ाई में भोजपुरी एगो भाषा के तौर पर फाउंडेशन कोर्स के रूप में शामिल बा।

बाकिर हाल में जेएनयू के नवनियुक्त कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुडी पंडित के घोषणा भोजपुरी भाषा के बढ़त कदम के सूचक बा। प्रो. शांतिश्री धुलिपुडी पंडित के कहनाम बा कि स्कूल आफ इंडियन लैंग्वेज में भोजपुरी भाषा के पाठ्यक्रम भारतीय भाषा के रूप भी तैयार कईल जाई। भोजपुरी के विकास खातिर एगो बढ़िया कदम बा। जवन एकर अंतरराष्ट्रीय महत्व के रेखांकित कर रहल बा।

विदित होखे कि मॉरीशस के एमजी इंस्टीट्यूट में भोजपुरी भाषा केंद्र बा, जेकरा कारण अमेरिका, चीन आ जापान जईसन देश के विश्वविद्यालय में भोजपुरी पर रिसर्च काम भइल बा, संगे-संगे मंदारिन आ जापानी भाषा में भोजपुरी साहित्य के अनुवाद संभव भइल बा। महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट में कार्यरत प्रो. अरविंद बिसेसर एकरा पर बहुत बढ़िया जानकारी देलन। मॉरीशस में प्राथमिक स्तर से पढ़ाई के पाठ्यक्रम भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन कर रहल बा। ओसही नेपाल प्रज्ञा संस्थान नेपाल में प्राथमिक स्तर से 12वीं के पाठ्यक्रम तैयार कर ले ले बा। काठमांडू स्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय में भोजपुरी पर शोध काम भइल बा, आ चल रहल बा। हमनी जानत बानी जा कि जेएनयू में अनेक देशी-विदेशी भाषा के केंद्र बा आ देसी विदेशी विद्यार्थी इंहा पढ़ाई कर रहल बा, त ई तय बा कि भोजपुरी भाषा साहित्य आ संस्कृति के ग्लोबल महत्व बढ़ी।

भोजपुरी के प्राथमिक स्तर से लेके बारहवीं तक के पढ़ाई से एगो फायदा ई होखी कि भोजपुरी में यूजी, पीजी पढ़ाई करे आ पीएचडी में शोध करे वाला विद्यार्थी लोगन के संख्या बढ़ी। एकर दूरगामी नतीजा होई। जईसे भोजपुरी शिक्षा क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिली। प्राथमिक, माध्यमिक आ विश्वविद्यालय स्तर पर प्राध्यापक के बहाली होई। ईहां एगो जानकारी दिहल जरूरी बा कि स्पायर लैब, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलुरु आ सीएसटीएस, दिल्ली में भोजपुरी भाषा के डिजिटलीकरण करे के संबंधी एगो परियोजना संचालित हो रहल बा, जेकरा खातिर भोजपुरी क्षेत्र के भोजपुरी में परांगत युवा के खोज हो रहल बा जे एह परियोजना के हिस्सा बन सके। बिहार सरकार के विश्वविद्यालय चयन आयोग द्वारा भोजपुरी के दो सहायक प्राध्यापक पद के इंटरव्यू भइल।

एकरा से साफ बा कि नई शिक्षा नीति 2020 से अन्य दोसर मातृभाषा के संगे-संगे भोजपुरी भाषा, साहित्य आ संस्कृति के विकास होखी आ भारत के विविधतापूर्ण संस्कृति के मजबूती प्रदान करी। अंत में ई दर्ज कईल जरूरी बा कि जेएनयू में भोजपुरी पाठ्यक्रम तैयार भइला से भोजपुरी के पढ़ाई के प्रति लोगन के रुचि में विकास होई।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स