देश के करीब 47 फीसदी नौकरीपेशा वाले लोग रोजगार को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, जबकि अन्य देशों में यह 38 फीसदी है। 17 देशों में किए गए एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है। भारत में हर 10 में से औसतन पांच कर्मचारियों में नौकरी जाने को लेकर डर बना हुआ है, वहीं अन्य देशों में हर 10 में से चार कर्मचारी इसे लेकर चिंतित हैं। नौकरी की असुरक्षा की भावनाएं युवाओं में सबसे अधिक हैं।
एडीपी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से किए गए सर्वे से संकेत मिलता है कि भारत में नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए सक्रिय उपाय करने की आवश्यकता हो सकती है। 32,000 लोगों के बीच सर्वे में कहा गया है कि करीब 50 फीसदी (18-24 साल) कर्मचारी मानते हैं कि वे अपने जॉब को लेकर सुरक्षित नहीं हैं। हालांकि, जिनकी उम्र 55 साल है, उनमें 24 फीसदी लोग मानते हैं कि उनकी नौकरी की कोई गारंटी नहीं है। यह निष्कर्ष तब आया है जब टेक कंपनियों और पेशेवर सेवा फर्मों सहित कई क्षेत्रों में नौकरी में तेजी से कटौती हो रही है। साथ ही यह भी संकेत मिला है कि उभरते आर्टिफिशियल और ऑटोमैटिक प्रौद्योगिकियां उद्योगों में नौकरियों को और खतरे में डाल देंगी। सर्वे के मुताबिक, इस अस्थिर और अनिश्चित आर्थिक समय में श्रमिकों को अपनी नौकरी के बारे में चिंतित होना स्वाभाविक है। विशेष रूप से तब, जब प्रमुख निगमों में बड़े पैमाने पर नौकरी छूटने व मानव रोजगार के लिए एआई का खतरा बढ़ रहा है। हालांकि, कुछ रोजगार ऐसे भी हैं, जहां जरूरत के मुताबिक लोग नहीं मिल रहे हैं।