आयकर विभाग ने बकाया कर के मुकाबले रिफंड को समायोजित (एडजस्ट) करने के सिलसिले में करदाताओं को राहत दी है। कर अधिकारियों को इस तरह के मामलों में अब 21 दिन में निर्णय करना होगा। पहले यह अवधि 30 दिन की थी। इस फैसले से मुकदमेबाजी में कमी आएगी। आयकर विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार, यदि करदाता समायोजन के लिए सहमत नहीं है या आंशिक रूप से सहमत है तो मामले को सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीसी) द्वारा तुरंत असेसिंग अधिकारी को भेजा जाएगा।
अधिकारी 21 दिन के भीतर सीपीसी को अपनी राय देंगे कि समायोजन किया जा सकता है या नहीं। आयकर अधिनियम की धारा 245 के तहत असेसिंग अधिकारी, करदाता की ओर से बकाया किसी भी कर मांग के खिलाफ रिफंड को समायोजित कर सकता है। यदि करदाता कर मांग से असहमत हैं तो वे इंटीमेशन नोटिस का जवाब दे सकते हैं। आयकर निदेशालय का कहना है कि असेसिंग अधिकारी को वैसे तो अभी 30 दिनों के भीतर प्रतिक्रिया देनी होती है लेकिन कई मामलों में प्रतिक्रिया समय पर नहीं दी जाती है। इससे रिफंड जारी करने में देरी होती है, जिससे शिकायतें और मुकदमेबाजी होती है। रिफंड जारी करने में इस तरह की देरी से ब्याज का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।