मांग में नरमी के साथ विनिर्माण व खनन क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सालाना आधार पर 1.7 फीसदी घटकर 7 फीसदी रह सकती है। ऐसा होने पर भारत सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर वाले देश का दर्जा खो सकता है। सऊदी अरब इससे आगे निकल सकता है, जिसकी वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में यह संभावना जताई गई है। हालांकि, यह आरबीआई के 6.8% के अनुमान से ज्यादा है। 2021-22 में जीडीपी की वृद्धि दर 8.7% रही थी। एनएसओ के मुताबिक, नॉमिनल जीडीपी (बाजार या मौजूदा कीमत पर एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य) भी 2022-23 के दौरान 4.1 फीसदी घटकर 15.4 फीसदी रह सकती है। 2021-22 में यह आंकड़ा 19.5 फीसदी रहा था। आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन घटकर 1.6 फीसदी रहने का अनुमान है। 2021-22 में इसमें 9.9 फीसदी की वृद्धि हुई थी। इसी तरह, खनन क्षेत्र में उत्पादन की वृद्धि दर कम होकर 2.4 फीसदी रह सकती है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान 11.5 फीसदी रही थी।