देश में लैपटॉप और टैबलेट बनाने वाली तथा निर्यात हब के लिए विदेशी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को सरकार 45 अरब रुपये की प्रोत्साहन रकम दे सकती है। सरकार के इस कदम से चीन के उत्पादन आधार को चुनौती मिलेगी। साथ ही भारत को निर्यात हब बनाने में मदद मिलेगी।
प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस मामले में उद्योग के अधिकारियों के लिए एक सलाह पत्र जारी किया है। इसमें प्रति कंपनी प्रोत्साहन की रकम 4,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। भारत ऐसे उत्पादों के आयात में कटौती करने और लंबी अवधि में देश को निर्यात केंद्र बनाने के लिए टैबलेट और उत्पादन को बढ़ावा देना चाहता है। प्रोत्साहन की रकम कलपुर्जों के स्थानीय निर्माण पर निर्भर होगी जो तैयार उत्पादों पर 6 फीसदी के बराबर हो सकता है। हालांकि, उद्योग से चर्चा के बाद इस योजना में बदलाव भी हो सकता है। पिछले साल भारत ने स्थानीय विनिर्माण और लैपटॉप, टैबलेट एवं पर्सनल कंप्यूटर जैसे आईटी उत्पादों के निर्यात के लिए 73.5 अरब रुपये का कार्यक्रम शुरू किया था, पर कम प्रोत्साहन के कारण यह प्रयास कंपनियों को आकर्षित करने में फेल हो गया था। सरकार पहले से ही घरेलू कंपनियों को पीएलआई के तहत निवेश के लिए आकर्षित कर रही है।