कच्चे तेल यानी क्रूड की महंगाई का असर किचन से लेकर वाहन और विमान कंपनियों के बजट पर भी हो रहा है। इससे एक ओर कंपनियां अपनी परिचालन लागत बढ़ाने के लिए मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर आम लोगों को अपने किचन के बजट को संतुलित करने के लिए कई जरूरी खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है।
विमान कंपनियों के खर्च में करीब 40 फीसदी हिस्सा विमान ईंधन का होता है। पिछले साल जुलाई में कच्चा तेल 43 डॉलर प्रति बैरल था जो मौजूदा समय में बढ़कर 73 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। कोरोना संकट की वजह से कंपनियां किराया बढ़ाने की स्थिति में भी नहीं हैं। ऐसे में उनकी स्थिति खराब होती जा रही है। इसका नुकसान उनके निवेशकों को भी हो रहा है। स्पाइसजेट का शेयर कोरोना पूर्व काल की तुलना में 33 फीसदी कम पर कारोबार कर रहा है। इंडिगो की कमाई भी घटी है।