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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 23 Nov 2021 6:48 pm IST

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जिसे होना चाहिए आदर्श गांव वह पहचान को भी तरस रहा



स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के गांव गाजीवाली की दास्तान
हरिद्वार। कभी नारा लगाया जाता था शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।
अंग्रेजो के खिलाफ जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी तब यह नारा लोगों में जोश भरने के लिए लगाया जाता था 15 अगस्त 1957 को देश आजाद भी हो गया लेकिन उसके बाद कितने हालात बदले और स्वतंत्रता सेनानियों के गांव को लेकर हमारी सरकारें और जनप्रतिनिधि कितने गंभीर हैं इसकी एक बानगी हरिद्वार जनपद के गाजीवाली गांव को देखने से साफ नजर आती है।
पूरे प्रदेश का यह एकमात्र ऐसा गांव है जिसमें 13 पंजीकृत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आजादी की लड़ाई के लिए दिए थे। इनमें से अब कोई भी जीवित नहीं है उनके उत्तराधिकारी हैं लेकिन सेनानियों के इस गांव को आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाना चाहिए था वह गांव आज भी विकास से कोसों दूर है गांव की अपनी कोई पहचान नहीं है कोई बड़ा स्कूल यातायात के संसाधन सफाई की बेहतर व्यवस्था इन सभी से दूर यह गांव सरकारों और जनप्रतिनिधियों के दावों और घोषणाओं की पोल खोल रहा है।
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