हरक सिंह रावत कोटद्वार सीट को छोड़कर अन्य सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। लेकिन इसके लिए उन्होने या तो विचार किए बिना या अत्याधिक विचार करने के बाद 4 विकल्प भी पार्टी के आगे रख दिए लेकिन सवाल है कि आखिर हरक किस भय के चलते इस सीट से भाग रहे थे ? इस सीट से जुड़ा वो क्या डर था उनमे जो वो उस कांग्रेस में संभावनाए तलाशने लगे जिससे बागी होकर भाजपा मे शामिल हुए थे?