देवभूमि उत्तराखंड में गर्भवतियों का जान खोना अनर्थ है इसलिए पूछ रहे हैं बुनियादी सुविधाओं में क्या समर्थ है ?? हम आंकड़ों में तकलीफों की तादाद गिना दें, पीड़ादायी उदाहरणों की कतार लगा दें पर आखिर में कराहती हुई मां जब सड़क पर दम तोड़ देती है और प्रशासन आंच से बचने के लिए जांच की चाद्दर ओढ लेती है – तो फिर कहना पड़ता है – कौन समझे पहाड़ी प्रसुता की पीड़ा ! यहां तो किसी महकमे से नही उठता एक मां का बीड़ा....