देहरादून। (ओम प्रकाश उनियाल)। देश के हर राज्य में पत्रकार संगठनों की भरमार है। बड़े अखबारों से जुड़े पत्रकारों के संगठन अलग हैं, तो छोटे व मझोले अखबारों के अलग। सब अपनी-अपनी खींचतान में लगे रहते हैं। सूचना विभाग और सरकार पर सब अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं। क्योंकि विभाग और सरकार भी अपने गुनगान करने वालों पर ही ज्यादा मेहरबान रहती है। इनके खिलाफ लिखने वालों को तो सरकारी विज्ञापनों, मान्यता आदि सुविधाओं के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यही कारण है कि विभाग व सरकार से कोई उलझना ही नहीं चाहता। संविधान में लोकतंत्र का चौथा-स्तम्भ है पत्रकारिता। लेकिन सरकारें और सूचना विभाग इसे अपने इशारे पर नचा कर रखता है। इससे बचने के लिए पत्रकार संगठनों में एका जरूरी है।