उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान हुए खटीमा गोलीकांड की 27वीं बरसी पर आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी गयी । इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को कई सौगात दीं। आइये देखतें हैं उत्तराखंड के प्रमुख समाचार पत्रों ने खटीमा गोलीकांड के आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि की इस खबर को किस तरह प्रकाशित किया है ।
हिन्दुस्तान ः अखबार ने “खटीमा गोलीकांड के आरोपियों पर कार्रवाई हो” ' शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है । खबर में लिखा है कि खटीमा गोलीकांड की 27वीं बरसी पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया। बुधवार को रामनगर के शहीद पार्क में कार्यक्रम आयोजित कर राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि खटीमा गोलीकांड को आज 27 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक दोषियों को सजा नहीं दी गई है।
दैनिक जागरणः अखबार ने "राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी मिलेगी पेंशन, सीएम बोले-शहादत से ही हमें मिला उत्तराखंड” शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है। इसमें लिखा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों की 27वीं बरसी पर कई सौगात दी।सीएम ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के आश्रित पति या पत्नी को भी अब सरकार 3100 रूपये पेंशन देगी। 30 जुलाई 2018 के बाद से राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण नहीं हो सका था।
अमर उजालाः अखबार ने " खटीमा गोलीकांड की 27वीं बरसी पर राज्य आंदोलनकारियों को सीएम धामी की सौगात शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है। इस खबर में लिखा है कि, उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा गोलीकांड के शहीदों की 27वीं बरसी पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को कई सौगात दीं। सीएम ने आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी पेंशन देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने वंचित राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है।
न्यूज़ एनालाइज
खटीमा गोलीकांड के आंदोलन को दी गई श्रद्धांजलि की इस खबर को अमर उजाला बाद दैनिक जागरण अखबार ने एक ही तरीके से प्रस्तुत किया है जबकि हिंदुस्तान अखबार ने इस खबर को अलग तरीके से प्रस्तुत की है । अमर उजाला व दैनिक जागरण ने अपनी खबर में सीएम धामी द्वारा आंदोलनकारियों को दी गई पेंशन की सौगात का उल्लेख करते हुए सीएम द्वारा की गई बातें प्रकाशित की है । वही हिंदुस्तान अखबार ने अपनी खबर में खटीमा गोलीकांड की 27 की भर्ती पर राज्य आंदोलनकारियों की ओर से सरकार से आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग का जिक्र किया गया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि तीनों अखबारों ने कहीं भी यह बात प्रकाशित नहीं की है कि खटीमा गोलीकांड आखिर है क्या , ये कब और कहां हुआ था और इसमें कितने लोगों की जान गई थी
क्या है खटीमा गोलीकांड
उत्तराखंड राज्य के निर्माण की मांग को लेकर 1 सितंबर 1994 को हजारों आंदोलनकारी खटीमा की सड़कों पर उतरे थे। इन आंदोलनकारियों पर पुलिस द्वारा गोलियां बरसाई गई थी इस दौरान 7 लोगों की जान गई थी और कई लोग घायल हुए थे । 1 सितंबर 1994 की वो घटना “खटीमा गोलीकांड” आज भी लोगो के घावं को ताजा कर देती है ।