पिछले डेढ़ साल से कुछ ढीले पड़े त्रिवेंद्र एकाएक इतने फुर्तीले हो गए हैं की कयासों की पाकशाला दाल में काला ही काला देख रही है, जानकारों को राजनीति की सीटी से कुछ पकने की महक आ रही है..पर सवाल है क्या ? क्या ये केंद्र की राजनीति से जुड़ा है अगर हां तो पूर्व सीएम का उत्साह कुछ लोगों की राह में रोड़ा बन सकते हैं..कैसे जानने के लिए देखें रिपोर्ट...