उत्तराखंड से एक सुखद खबर सामने आई है। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी कि बीआरओ ने एक बार फिर से अपना कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। सीमा सड़क संगठन ने उत्तरकाशी और चमोली जनपद में चीन सीमा पर स्थित अपनी अग्रिम चौकियों को सड़क से जोड़ कर एक बार फिर से एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। जी हां, यह सड़कें सेना की आवाजाही को आसान बनाती हैं। सेना के साथ ही गढ़वाल जनपद के आमजन भी इस सड़क से आवाजाही करते हैं।
बीआरओ ने अबतक युद्ध स्तर पर कई सड़कों और पुलों का निर्माण किया है और यह सेना के साथ ही गढ़वाल के जिलों और चार धाम की यात्रा के लिए वरदान जैसी हैं। सीमा सड़क संगठन द्वारा भारत-चीन बॉर्डर पर पक्की सड़कें बनाना किसी उपलब्धि से कम नहीं है।
भारत-चीन सीमा पर पक्की सड़कों की सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि उन्हीं सड़कों के जरिए भारतीय सेना आवाजाही करती है। ऐसे में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चौकियों को सड़क से जोड़ने का यह काम बेहद सराहनीय है।
सीमा सड़क संगठन चमोली जिले में चीन सीमा को जोड़ने वाले बद्रीनाथ मार्ग पर युद्ध स्तर पर काम कर रहा है और यहां पर भी बीआरओ ने अंतिम चौकियों तक सड़कों को पहुंचा दिया है जो कि बीआरओ की एक बड़ी उपलब्धि है।