बैंकों के निजीकरण, केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति समेत छह मांगों को लेकर बैंक, बीमा और डाकघर के कर्मचारी दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। अधिकांश सरकारी बैंकों में ताले लटके रहे और कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। एक अनुमान के मुताबिक दो दिन की हड़ताल से 110 करोड़ रुपये का कारोबार नहीं हो सका। मार्च के शेष दो दिन बचे रहने से बुधवार से बैंकों में उपभोक्ताओं की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार की कर्मचारी नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर बैंक समेत एलआईसी समेत विभिन्न कर्मचारियों, श्रमिकों ने दो दिवसीय हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया था। सोमवार से शुरू हुई हड़ताल में धर्मनगरी के पीएनबी समेत अन्य बैंकों के कर्मचारी शामिल हुए। जिससे पीएनबी की शाखाओं के अधिकांश कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल रहने से उन पर ताले लटके रहे। अन्य बैंकों की शाखाओं के कामकाज पर असर पड़ा।