आसमान से इन दिनों बरस रही आफत और स्कूल भवन की छत से टपकता पानी। असुविधाओं का झोल ऐसा कि तमाम दावों के बाद भी बच्चों के मध्याह्न भोजन बनाने के लिए भी छप्पर का सहारा।
समझा जा सकता है कि हर सुनहरे सवेरे के बीच बच्चे किस कदर सुविधाओं के अभाव में जिंदगी जीने की सीख लेते होंगे। फिलवक्त राजकीय प्राथमिक विद्यालय छैतुड़ को देखकर तो यही लगता है, जहां अध्ययनरत बच्चों के सामने रिमझिम वर्षा भी चिंता पैदा कर देती है।