देहरादून (उत्तराखंड): राजधानी देहरादून के विकासनगर की महमूद नगर बस्ती हो, या फिर उत्तरकाशी का बड़ी मणि गांव क्षेत्र. पौड़ी जिले का पाबो ब्लॉक हो या अल्मोड़ा जिले का धौलादेवी क्षेत्र. पिथौरागढ़ का गंगोलीहाट हो या अल्मोड़ा जिले का फयाटनौला गांव. इन सभी जगह गुलदारों के खौफ को बयां करती ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसने इंसानी बस्तियों को भी असुरक्षित महसूस कराया है. गुलदार के आतंक का यह अध्याय सिर्फ इन क्षेत्रों या उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि यही गुलदार अब देश के कई राज्यों में दहशत का पर्याय बन चुके हैं.मानव वन्यजीव संघर्ष वैसे तो इंसानों के लिए हमेशा से ही चिंता का सबब रहा है, लेकिन लोगों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी गुलदारों ने ही बढ़ाई है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसानों के साथ होने वाले संघर्ष में गुलदार सबसे ऊपर हैं. इससे भी बड़ी परेशानी इस बात को लेकर है कि गुलदार अब इंसानों के घरों तक भी पहुंच गए हैं. यही नहीं घरों के बाहर घात लगाकर भी गुलदार इंसानों का शिकार कर रहे हैं. राजधानी देहरादून के विकासनगर स्थित महमूद नगर की घटना ने तो सबको हैरान करके रख दिया है. बताते हैं कि यहां गुलदार ने आंगन से ऐसे बच्चे को उठा लिया जिस पर वह पहले भी हमला कर चुका था. लेकिन पहली बार वो नाकाम हो गया था. गुलदार का इस तरह निशाना बनाकर शिकार करना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि आने वाले बड़े खतरे को भी बयां करता है.साल 2020 में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गुलदारों के जो आंकड़े जारी किए थे, उसके अनुसार देशभर में 4 साल के भीतर गुलदारों की 60 प्रतिशत संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया गया था. साल 2014-15 में 8 हज़ार की तुलना में 2018-19 में 12,852 गुलदार पाए गए. उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या 650 से बढ़कर 840 हुई थी. उत्तराखंड को गुलदारों की संख्या के लिहाज से देश का 5वां बड़ा राज्य माना गया. गुलदारों की संख्या के लिहाज से पहले स्थान पर मध्य प्रदेश, दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र को बताया गया.