पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग का असर देखने को मिल रहा है, जिसको लेकर पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है. वहीं सोबन सिंह जीना विवि परिसर के गणित विभाग के सभागार में जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) पर चर्चा की गई. इसमें जलवायु परिवर्तन को गंभीर समस्या बताते हुए इस संबंध में चिंतन कर निदान खोजे जाने पर बल दिया गया. वहीं विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने को प्रेरित किया गया.कार्यक्रम में प्रो. जेएस बिष्ट ने जलवायु परिवर्तन के बारे में बताया कि जलवायु परिवर्तन के चार दौर हो चुके हैं. यह पांचवां दौर है. इसमें अनेक अप्रत्याशित परिणाम मिल रहे हैं. मानव ने विभिन्न तरीकों से पर्यावरण का दोहन किया है. इस सेमिनार का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं युवाओं को इसके लिए जागृत करना है. यदि युवाओं को जागृत नहीं किया गया तो हमारे प्राकृतिक स्रोतों पर जल भी भारी संकट आने वाला है. जल में भी जो गैर हिमानी नदियां हैं, वह सदाबहार नदियों से मौसमी नदियों में परिवर्तित हो रही हैं. इसके लिए विद्यार्थियों व सरकार को जागृत करना जरूरी है. वहीं कहा गया कि वर्तमान में जलवायु स्थानांतरित हो रही है. वर्षा का चक्र बदल रहा है. पहले वर्षा जुलाई में होती थी फिर सितंबर में होने लगी. अब वह अक्टूबर में चली गयी है. इससे सबसे ज्यादा काश्तकार परेशान हैं. क्योंकि जो कृषि के लिए कैलेंडर बना है, उसी के अनुसार कृषक खेती करते हैं, वह भी प्रभावित हो रही है. इस पर भी कार्य करने को आवश्यकता है.