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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 20 Sep 2021 9:45 am IST


आस्था का केंद्र मां चन्द्रिका देवी धाम, जानें क्या है मान्यता


अठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध से यहां मां चंद्रिका देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर लखनऊ के फेमस मंदिरों में से एक है। लोगों को इस मंदिर के प्रति अपार आस्था है।  ये मंदिर नेशनल हाईवे-24 पर स्थित बख्शी का तालाब कस्बे से 11 किमी सड़क पर स्थित है। कहा जाता है कि गोमती नदी के समीप स्थित महीसागर संगम तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओं के साथ उनकी वेदियाँ चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं।

गांव वालों के अनुसार पांडव अपने वनवास के समय द्रोपदी के सात इस तीर्थ पर आए थे और आश्वमेघ यज्ञ कर घोड़ा छोड़ा था, जिससे इस क्षेत्र के तात्कालिक राना हंशध्वज द्वारा रोके जाने पर युद्धुष्ठिर की सेना से उन्हें युद्ध करना पड़ा था। युद्ध के समय एक पुत्र सुधन्वा का माता के मंदिर में पूजा अर्चना करते रहने की वजह से उसे खौलते तेल में डाल दिया गया था।  मां की कृपा से उसके शरीर पर कोई आंच नहीं आई थी।

मंदिर के पास बने महिसागर तीर्थी की भी आपनी मान्यता है। लोगों के अनुसार इस तीर्थ में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने तप किया था। ये तीर्थ मनोकामनीपूर्ती व पापों को नाश करने के लिए माना जाता है।

मंदिर की तीन दिशाओं में गोमती नदी है तथा एक ओर संगम जो मंदिर को पर्यटन के लिहाज से भी खास है। मंदिन की मान्यता व लोकप्रियता के चलते यहां हर महीने की आमावस्या को मेला लगता है। जिसमें तमाम भक्त शामिल होतेहै

मान्यता

-ठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध से यहां मां चन्द्रिका देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है। ऊंचे चबूतरे पर एक मठ बनवाकर पूजा-अर्चना के साथ देवी भक्तों के लिए प्रत्येक महीने की अमावस्या को मेला लगता था, जिसकी परम्परा आज भी जारी है।

-श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मां के दरबार में आकर मन्नत मांगते हैं, चुनरीकी गांठ बांधते हैं तथा मनोकामनापूरी होने पर मां को चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर मंदिर परिसर में घण्टा बांधते हैं। अमीर हो अथवा गरीब, अगड़ाहो अथवा पिछड़ा, मां चन्द्रिका देवी के दरबार में सभी को समान अधिकार है।

-मां के मंदिर में पूजा-अर्चना पिछड़ा वर्ग के मालियों द्वारातथा पछुआ देव के स्थान (भैरवनाथ)पर आराधना अनुसूचित जाति के पासियों द्वारा कराई जाती है। ऐसा उदाहरण दूसरी जगह मिलना मुश्किलहै।

-स्कन्दपुराण के अनुसार द्वापर युग में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने मां चन्द्रिका देवी धामस्थित महीसागर संगम में तपकिया था। आज भी करोड़ों भक्त यहां महारथी वीर बर्बरीक की पूजा-आराधना करते हैं।