उत्तरकाशी: राज्य वृक्ष बुरांश प्रदेश सरकार की बेरुखी और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के कारण अब विलुप्ती की कगार पर हैं. वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष प्रदेश में उत्पादन 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है. इसके साथ ही इसके खिलने के बाद यह जल्दी ही सूख रहा है. इसका कारण चीड़ के पेड़ भी माने जाते हैं.प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले खूबसूरत वृक्ष बुरांश को राज्य वृक्ष तो बना दिया, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार ने इसके हाल पर ही छोड़ दिया है. यही कारण है कि आज बुरांश पहाड़ों से गायब हो रहा है. बुरांश का लाल फूल फरवरी मध्य और मार्च शुरू में खिलते हैं, जो कि अप्रैल माह तक अपने खिले हुए लाल रंगों से पहाड़ों की शोभा बढ़ाते हैं. पिछले कुछ सालों में स्थिति यह देखने को मिल रही है कि फूल 10 से 15 दिनों में ही सूख रहे हैं.राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ.एमपीएस परमार का कहना है सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आज तक प्रदेश सरकार ने कहीं पर बुरांश के संवर्धन के टिशूकल्चर लैब तक का निर्माण नहीं किया. इसके साथ ही प्रदेश में बैंबो बोर्ड तो बना दिया गया, लेकिन राज्य वृक्ष के संरक्षण के लिए आज तक कोई बोर्ड नहीं बनाया गया है. परमार कहते हैं बुरांश बहुत की संवेदनशील वृक्ष होता है. यह अन्य पेड़ों के साथ जल्दी से अूनकूलित नहीं होता है, इसलिए पहाड़ में बढ़ते चीड़ के पेड़ों के कारण बुरांश हर वर्ष 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है.