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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 28 May 2023 11:40 am IST


PM ने किया इनॉगरेशन: नए संसद भवन में दिखेगी देश के हर क्षेत्र की झलक, जानिए खासियत


नई दिल्‍ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को हवन और मंत्रोच्चार के बीच नई संसद का उद्घाटन किया। पूजन के बाद तमिलनाडु के मठों से आए अधीनम ने उनको सेंगोल सौंपा। पीएम ने साष्टांग प्रणाम के बाद इसे संसद में स्पीकर की कुर्सी के बगल स्थापित किया। इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला उनके साथ मौजूद थे।


नई संसद की खासियत

पुरानी लोकसभा में 590 लोगों की बैठने की क्षमता है और अब नई लोकसभा में 888 सीट हैं। विजिटर्स गैलरी में 336 से अधिक लोगों के बैठने का इंतजाम है।

पुरानी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है और नई राज्यसभा में 384 सीट हैं। विजिटर्स गैलरी में 336 से अधिक लोग बैठ सकेंगे।

लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के समय लोकसभा में ही 1272 से अधिक सांसद साथ बैठ सकेंगे।

संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है।

कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी बैठक के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं।

कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था है।

नए संसद भवन में देश के हर क्षेत्र की झलक देखने को मिलेगी।

इसकी फ्लोरिंग त्रिपुरा के बांस से की गई है और कालीन मिर्जापुर का है

लाल-सफेद सैंड स्टोन राजस्थान के सरमथुरा का है तो वहीं, निर्माण के लिए रेत हरियाणा के चरखी दादरी से और भवन के लिए सागौन की लकड़ी नागपुर से मंगाई गई है।

भवन के लिए केसरिया हरा पत्थर उदयपुर, लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा और सफेद संगमरमर राजस्थान के ही अंबाजी से मंगवाया गया है।

लोकसभा और राज्यसभा की फाल्स सीलिंग में लगाई गई स्टील की संरचना दमन-दीव से मंगाई गई है।

संसद में लगा फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया।

पत्थर की जाली का काम राजस्थान के राजनगर और नोएडा से करवाया गया।

प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगवाई गई।

लोकसभा-राज्यसभा की विशाल दीवार और संसद के बाहर लगा अशोक चक्र इंदौर से मंगाया गया है।

पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया है।

पत्थर राजस्थान के कोटपूतली से लाए गए।

फ्लाई ऐश ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गईं, जबकि पीतल के काम और सीमेंट के बने-बनाए ट्रेंच अहमदाबाद से लाए गए हैं।