ऊधम सिंह नगर : थैलेसीमिया रोग निगरानी और नियमित इलाज के अभाव में अंग क्षति का कारण बन जाता है। जिले के शून्य से 18 वर्ष के 141 बच्चों के थैलेसीमिया से ग्रसित होने की बात सामने आई है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की सर्वे में 86 बच्चे मेजर तो 55 बच्चे थैलेसीमिया माइनर रोग से पीड़ित पाए गए हैं।
थैलेसीमिया एक वंशानुगत रक्त विकार है, जो शरीर की हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बाधित करता है। थैलेसीमिया रोग अस्थि मज्जा को फैला सकता है जिससे हड्डियां चौड़ी हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप चेहरे और खोपड़ी में असामान्य अस्थि संरचना हो सकती है। अस्थि मज्जा विस्तार हड्डियों को पतला और कमजोर बनाता है। जिससे हड्डियों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है। थैलेसीमिया से एनीमिया हो सकता है। जिससे थकान महसूस होती है।
थैलेसामिया के लक्षण
बच्चों के नाखून और जीभ पीली पड़ जाती है।
बच्चे के जबड़ों और गालों में असामान्यता आ जाती है।
बच्चे का विकास रुक जाता है, उम्र से काफी छोटा नजर आता हैं।
सूखता चेहरा, वजन न बढ़ना, हमेशा बीमार नजर आना, कमजोरीरी, सांस लेने में तकलीफ आदि