2 अगस्त को पूरा देश देश को तिरंगा देने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म मनाता है। लेकिन इतिहास की किताबों में आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हरे भरे खेतों के बीच एक छोटे से गांव भाटलापेनुमरु के बारे ज्यादा कुछ नहीं है।
दरअसल देश को तिरंगा देने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव भाटलापेनुमरु में हुआ था। लेकिन ये गांव किसी राजनेता या सरकार की नजरों में नहीं है। हालांकि, ग्रामीणों ने कुछ साल पहले पैसे जमाकर दो मंजिला इमारत बनवाई थी। जिसका उपयोग ज्यादातर सामुदायिक हॉल के रूप में किया जाता है। और गांव के एकमात्र स्मारक का नाम भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के वास्तुकार पिंगली वेंकैया के नाम पर रखा गया है।
इसके अलावा गांव के केन्द्र में महात्मा गांधी के साथ वेंकैया की आदमकद प्रतिमा लगी है। जो आगंतुकों का स्वागत करती है। भटलापेनुमरु गांव में अब केवल उनकी स्मृतियों में बची हुई है। ग्रामीणजन आज भी कई पीढ़ियों पहले जन्मे वेंकैया को गर्व और भक्ति के साथ याद करते हैं। और हर साल दो अगस्त को वेंकैया की जयंती पर गांव में भव्य आयोजन करते हैं।
बता दें कि, महात्मा गांधी के करीबी अनुयायी रहे पिंगली वेंकैया के बनाए गए तिरंगे को 1921 में विजयवाड़ा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर मंजूरी दी गई।