देश में अब हर बीमारी की जांच तकनीकि विकसित करने के लिए एक अलग प्रयोगशाला तैयार की जा रही है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने 22 बीमारियों को लेकर प्रयोगशालाओं की सूची जारी की है।
यहां डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, एचआईवी सहित सभी संक्रामक रोगों पर एक साथ काम होगा। एचआईवी इन विट्रो डायग्नोस्टिक को लेकर आठ राज्य की 13 प्रयोगशालाओं को जिम्मेदारी दी है। यूपी के नोएडा स्थित राष्ट्रीय जैविक संस्थान और रायबरेली एम्स की प्रयोगशाला इसमें शामिल हैं। इसी तरह कैंसर को लेकर सात राज्यों की नौ प्रयोगशालाओं को यह जिम्मेदारी दी गयी है।
इन विट्रो डायग्नोस्टिक ऐसी जांच होती है, जो बीमारी, स्थितियों और संक्रमणों का पता लगा सकते हैं। इन विट्रो का सीधा अर्थ है ‘ग्लास में’, जिसका अर्थ है कि ये परीक्षण आमतौर पर टेस्ट ट्यूब और इसी तरह के उपकरणों में किए जाते हैं। इन विट्रो परीक्षण प्रयोगशालाओं, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं या यहां तक कि किसी एक घर में भी किए जा सकते हैं। इन तकनीक का इस्तेमाल, कीमत और गुणवत्ता काफी बेहतर मानी जाती है।
अधिकारियों के मुताबिक, ये सभी प्रयोगशालाएं अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। हालांकि यहां अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता भी रहेगी क्योंकि विषाणुओं को आइसोलेट करने के साथ ही यहां अध्ययन किया जाएगा। बताते चलें कि, सीडीएससीओ की लिस्ट में एचआईवी के अलावा हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, कैंसर, टीबी, मलेरिया, सिफलिस, टाइफाइड, इन्फ्लूएंजा, निमोनिया, जन्मजात रोग और ऑटो इम्यून बीमारियों की जांच तकनीक भी शामिल है।