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Rashmi Panwar
• Mon, 11 Jan 2021 1:39 pm IST


त्वरित टिप्पणी: हरीश की सियासी चतुराई, हाईकमान के पाले में 'अपनी' गेंद सरकाई


चुनाव से एक वर्ष पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करनी की मांग कर रावत ने साफ किये अपने इरादे 


देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के चुनावी रण के सेनापति की घोषणा को लेकर किये ट्वीट ने पार्टी के कई दिग्गजों की धड़कने बढ़ा दी हैं। हरीश ने चुनाव के एक वर्ष पहले मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा की मांग कर अपने इरादे साफ कर दिये हैं। खेमों में बंटी कांग्रेस के लिए उनकी यह मांग कितनी जायज है, यह तो पार्टी हाईकमान को तय करना होगा। लेकिन हरीश के ट्वीट की टाइमिंग बेहतरीन है। यह हाईकमान के लिए संदेश भी है कि अगर सही समय पर मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जाएगा तो चुनाव में उसका लाभ मिलेगा।

प्रदेश कांग्रेस अभी कई धड़ों में बंटी है। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्दय़ेश के साथ एक टीम में बताए जाते हैं जबकि हरीश की टीम अलग है। प्रीतम का खेमा चाहता है कि वही मुख्यमंत्री का चेहरा हों, चूंकि वर्तमान परिस्थितियों में दिख रहा है कि पार्टी उनकी अगुवाई में चुनाव लड़ेगी। इंदिरा के खेमे का भी प्रीतम को मौन समर्थन बताया जा रहा है। वहीं हरीश रावत के समर्थक 2022 की चुनावी जंग में उन्हें सेनापति देखना चाहते हैं। हरीश को प्रदेश कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा भी माना जाता है। उनको नज़रअंदाज़ कर कांग्रेस अगर चुनावी रण में उतरती है तो उसका नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में  कांग्रेस हाईकमान को यह तय करना होगा कि प्रीतम और हरीश में से किसका बड़ा जनाधार है। अगर पार्टी इस आधार पर चेहरा तय कर उसकी जल्द घोषणा करती है तो प्रदेश कांग्रेस में खेमेबाजी को नियंत्रित करने में पर्याप्त समय मिल जाएगा। 

वहीं, पार्टी हाईकमान को हरियाणा विधानसभा चुनाव से सबक लेना चाहिए। वहां पार्टी ने अंतिम समय में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चेहरा घोषित किया। हुड्डा के चुनावी रण में उतरते ही समीकरण बदलना शुरू हुए, लेकिन हुड्डा के पास समय इतना कम था कि वह पुरजोर कोशिश के बाद भी बहुमत तक पहुंच पाते। ऐसे में हरीश रावत की एक वर्ष पहले ही मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करनी मांग इस ओर भी इशारा करती है कि रावत खेमा जिम्मेदारी के लिए तैयार है। उन्हें बस हाईकमान के संकेत का इंतजार है। वहीं दूसरी तरफ प्रीतम और इंदिरा धड़ा नहीं चाहेगा कि हाईकमान कोई जल्दबाजी करे। बहरहाल, हरीश के ट्वीट के बाद पार्टी में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर एक बहस तो शुरू हो ही गई है। रावत ने बेहद सरलता से गेंद दूसरे पाले में डाल दी है।