दिल्ली हाईकोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर अहम बात कही। हाईकोर्ट ने कहा कि, सोशल मीडिया या टीवी चैनलों के कंटेंट पर टिप्पणी करने का अधिकार अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है।
यह जनहित में है कि हर प्रसारक को आलोचना और समीक्षा का अधिकार मिले। यहां तक कि उन कार्यक्रमों के बारे में भी जो दूसरों ने बनाए हैं। हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी एक मीडिया हाउस की याचिका खारिज करते हुए अंतरिम राहत देने से इन्कार करते हुए की। जस्टिस आशा मोहन ने कहा कि, सूचनाओं के बेहतर प्रसार से अच्छा जानकार समाज बनेगा।
टिप्पणी करने के हक पर संविधान के तहत तार्किक प्रतिबंध ही लगाए जाने चाहिए। वह भी तब, जब उससे राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था और मानहानि का खतरा हो। दरअसल अदालत एक मीडिया हाउस की ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज लॉन्ड्री के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। क्योंकि, समाचार पोर्टल अपनी सामग्री के माध्यम से मीडिया हाउस के समाचार प्रसारण और एंकर का मजाक बना रहा था और बदनाम कर रहा था।