जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर पिछले कुछ वर्षों से रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का एक नया रूप देखने को मिल रहा है। पिछले महीने उनकी सरकार ने एलान किया था कि साल 2060 तक रूस खुद को नेट जीरो बना लेगा। यानी वहां कार्बन उत्सर्जन की मात्रा घटा कर शून्य कर दी जाएगी। आलोचकों का कहना है कि रूस में असल में इस घोषणा के मुताबिक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।रूस दुनिया में कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस का चौथा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है। आलोचकों के मुताबिक जिस पैमाने पर रूस में कार्बन उत्सर्जन होता है, उसे अगर घटाना है, तो बहुत ठोस और महत्त्वाकांक्षी कदम उठाने होंगे। फिलहाल, रूस सरकार ने जो कार्यक्रम घोषित किया है, उसके मुताबिक 2030 तक देश में कार्बन उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती रहेगी। उसके बाद उसमें कटौती शुरू होगी। 2050 तक इसके मौजूदा स्तर में 79 फीसदी गिरावट आएगी। अगले एक दशक में उसे शून्य कर दिया जाएगा।