रुद्रप्रयाग: कारगिल युद्ध में शहीद हुए सुनील दत्त कांडपाल को लेकर हुई घोषणाएं 22 वर्ष बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। परिजन विभागों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहां तक के गांव में शहीद स्मारक भी नहीं बन पाया है। सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में सेना का नायक कारगिल युद्ध में जुलाई 1999 में शहीद हो गया था। उसके बाद शहीद के नाम पर गांव के राजकीय इंटर कॉलेज बेंजी-कांडई का नाम रखने, रुद्रप्रयाग-उडामांडा मोटर मार्ग का नाम शहीद के नाम पर रखने और शहीद की याद में गांव में स्मारक बनाने की घोषणाएं भी हुई, लेकिन 22 वर्ष बीत जाने के बाद भी ये घोषणाएं धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। जबकि तत्कालीन गढ़वाल सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी ने भी मामले में परिजनों को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था।