यमुना नदी के बाढ़ के पानी से भू-जल स्तर बेहतर करने की योजना का ट्रायल कामयाब रहा है। पल्ला इलाके के बाढ़ क्षेत्र में चल रहे इस प्रोजेक्ट से बीते 3 साल में करीब 812 मिलियन गैलन पानी जमीन के अंदर गया। इससे भूजल का स्तर 2 मीटर तक ऊपर हुआ है।
साथ ही इसका असर नदी से दूर के इलाकों में भी दिखा है। बेहतर नतीजों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने प्रोजेक्ट को इस साल भी चलाने का फैसला लिया है। वहीं, प्रोजेक्ट का दायरा बढ़ाने की संभावना पर सरकार काम कर रही है। इससे पहले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक की।
इस दौरान प्रोजेक्ट से जुड़ी रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई। सिसोदिया ने बैठक के बाद बताया कि प्रोजेक्ट का विस्तार 40 एकड़ में है। इसमें से 26 एकड़ में एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है। इसका इस्तेमाल दिल्ली के भूजल स्तर को बढ़ाने में हो रहा है। दिल्ली जल बोर्ड ने 2020 और 2021 में मानसून से पहले और बाद का अध्ययन किया। इससे भूजल स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। जलस्तर बढ़ने से जमीन के अंदर पानी यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है।
सिसोदिया ने बताया कि बीते 10 साल में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होने से तीन सालों में अलग-अलग इलाकों में .50 मीटर से दो मीटर तक बढ़ोतरी हुई है। 40 एकड़ में करीब 812 मिलियन गैलन भूजल रिचार्ज हुआ है। प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 1,000 एकड़ तक बढ़ाने से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो सकेगा।