भंकोली गांव में चौमा महाराज के मेले (जातर) में रंवाई की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली है। मेले के दौरान श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य को हरियाली और श्रीफल चढ़ाकर मन्नतें मांगी।
वर्ष में एक बार आयोजित होने वाले चौमा महाराज मेले में लोग अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के पकवान चढ़ाते हैं। इस दौरान मंदिर प्रांगण में महिलाएं पारंपरिक पहनावे के साथ तांदी और हारुल नृत्य कर मेले का आनंद लेती हैं। पांचों गांव के लोग चौमा महाराज को महासू देवता का रूप मान कर पूजा करते हैं। ग्रामीणों की अपने आराध्य के प्रति गहरी आस्था है। इस कारण बाहरी राज्यों में सरकारी, गैर सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ति मेले में प्रतिभाग करने गांव पहुंचता है। चौमा महाराज हर साल 13 जुलाई को अपने मूल स्थान भंकोली गांव स्थित मंदिर के गर्भ गृह से बाहर निकलने के बाद थली, छमरोटा, कामरा, शांखाल गांव का भ्रमण कर वापस भंकोली गांव पहुंचते हैं। भंकोली गांव में तीन दिन तक मेले का आयोजन किया जाता है।